लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 6 साल पुरानी इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को अवैध करार दिया है, साथ ही इसके जरिए चंदा लेने पर तत्काल रोक लगा दी, कोर्ट ने कहा कि बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है, यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. 5 जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सर्वसम्मति से ये फैसला सुनाया.
चीफ जस्टिस ने कहा – पॉलिटिकल प्रॉसेस में राजनीतिक दल अहम यूनिट होते हैं, पॉलिटिकल फंडिंग की जानकारी, वह प्रक्रिया है, जिससे मतदाता को वोट डालने के लिए सही चॉइस मिलती है, वोटर्स को चुनावी फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार है, जिससे मतदान के लिए सही चयन होता है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुख्य बिंदु
1. SBI राजनीतिक दलों का ब्योरा दे, जिन्होंने 2019 से अब तक इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा हासिल किया है.
2. SBI राजनीतिक दल की ओर से कैश किए गए हर इलेक्टोरल बॉन्ड की डिटेल दे, कैश करने की तारीख का भी ब्योरा दे.
3. SBI सारी जानकारी 6 मार्च 2024 तक इलेक्शन कमीशन को दे और इलेक्शन कमीशन 13 मार्च तक अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर इसे पब्लिश करे.
4. राजनीतिक चंदे की गोपनीयता के पीछे ब्लैक मनी पर नकेल कसने का तर्क सही नहीं, यह सूचना के अधिकार का उल्लंघन है.
5. कंपनी एक्ट में संशोधन मनमाना और असंवैधानिक कदम है, इसके जरिए कंपनियों की ओर से राजनीतिक दलों को असीमित फंडिंग का रास्ता खुला.
6. निजता के मौलिक अधिकार में नागरिकों के राजनीतिक जुड़ाव को भी गोपनीय रखना शामिल है.
बता दे कि CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने तीन दिन की सुनवाई के बाद 2 नवंबर 2023 को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, इसे लेकर चार याचिकाएं दाखिल की गई थीं. याचिकाकर्ताओं में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), कांग्रेस नेता जया ठाकुर और CPM शामिल है, केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे, सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की तरफ से पैरवी की थी.
2 नवंबर को फैसला सुरक्षित रखने के ठीक 4 दिन बाद 6 नवंबर को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी 29 ब्रांचों के जरिए इलेक्टोरल बॉन्ड इश्यू किए थे, 6 नवंबर से 20 नवंबर तक इश्यू किए गए बॉन्ड्स में 1000 करोड़ रुपए का चुनावी चंदा दिया गया.

चुनावी बॉन्ड क्या है?
2017 के बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चुनावी या इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को पेश किया था, 2 जनवरी 2018 को केंद्र सरकार ने इसे नोटिफाई किया. ये एक तरह का प्रोमिसरी नोट होता है, जिसे बैंक नोट भी कहते हैं, इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है. अगर आप इसे खरीदना चाहते हैं तो आपको ये स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चुनी हुई ब्रांच में मिल जाएगा, इसे खरीदने वाला इस बॉन्ड को अपनी पसंद की पार्टी को डोनेट कर सकता है, बस वो पार्टी इसके लिए एलिजिबल होनी चाहिए. कोई भी भारतीय इसे खरीद सकता है, बैंक को KYC डीटेल देकर 1 हजार से 1 करोड़ रुपए तक के बॉन्ड खरीदे जा सकते हैं, बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान गुप्त रहती है, इसे खरीदने वाले व्यक्ति को टैक्स में रिबेट भी मिलती है, ये बॉन्ड जारी करने के बाद 15 दिन तक वैलिड रहते हैं.