रायपुर, 15 दिसंबर। Paddy Procurement : विधानसभा में धान खरीदी में अव्यवस्था को लेकर कांग्रेस ने काम रोको प्रस्ताव लाया। कांग्रेस ने सदन के सभी कार्य स्थगित कर केवल धान खरीदी के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की। नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने काम रोको प्रस्ताव सदन में रखा और धान खरीदी व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर किया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि किसानों को टोकन नहीं मिल रहा है, खरीदी प्रक्रिया ठप पड़ी है और हर स्तर पर दुर्व्यवस्था फैली हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि सूखत की कटौती की जा रही है और बोरे कम वजन के दिए जा रहे हैं। कांग्रेस ने इन मुद्दों पर सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा।
टिप्पणी को लेकर सदन में तीखी नोकझोंक
इस दौरान मंत्री अजय चंद्राकर ने टिप्पणी करते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष की बॉडी लैंग्वेज और आवाज से कहीं नहीं लग रहा कि स्थिति गंभीर है, दूसरे विषय पर चर्चा की जानी चाहिए और किसान परेशान नहीं हैं। इस टिप्पणी को लेकर सदन में तीखी नोकझोंक देखने को मिली।
धान खरीदी स्थगन के मामले में विधानसभा अध्यक्ष ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि यह जनता से सीधा जुड़ा हुआ विषय है, इसलिए इस पर ग्राह्यता स्वीकार कर चर्चा होनी चाहिए। इस पर विपक्ष ने अध्यक्ष को धन्यवाद दिया।
धान खरीदी की ग्राह्यता पर चर्चा की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार धान खरीदना ही नहीं चाहती। उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसानों का रकबा लगातार घट रहा है, टावर नहीं होने से इंटरनेट नहीं चलता और पोर्टल तीन मिनट में बंद हो जाता है, जिससे किसान पूरे प्रदेश में भटक रहे हैं।
किसान का गला काटे जाने का मामला भी उठा
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि महासमुंद में एक किसान ने गला काट लिया, जो सरकार की विफलता को दर्शाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार में किसान धान नहीं बेच पा रहे हैं। मनबोध जैसे लाखों किसान आज भी धान बेचने से वंचित हैं। लाखों क्विंटल धान सोसाइटी में सड़ रहा है और वहां से धान का उठाव नहीं हो रहा है।
भूपेश बघेल ने कहा कि एक महीने में 35 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई है, लेकिन अव्यवस्था के लिए पूरी सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एफसीआई पिछले साल का चावल नहीं खरीद रही है और सरकार जानबूझकर धान खरीदी व्यवस्था को चौपट कर निजी व्यवसाय को सौंपना चाहती है। धान खरीदी को लेकर सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी बहस जारी है और किसानों के मुद्दे पर सदन का माहौल काफी गरमाया हुआ है।