रायपुर, 21 नवंबर। Bird Habitat Area : छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में स्थित गिधवा-परसदा आर्द्रभूमि परिसर आज राज्य का सबसे सशक्त, समृद्ध और सक्रिय पक्षी आवास क्षेत्र बन चुका है। साल 2023 में हुए जैव विविधता सर्वेक्षण में यहां 104 मछलियों, 19 उभयचरों और 243 पक्षियों की प्रजातियाँ दर्ज की गईं। अक्टूबर से मार्च तक भारत, रूस, मंगोलिया, बर्मा और बांग्लादेश जैसे देशों से हजारों प्रवासी पक्षी यहां पहुंचते हैं। यही कारण है कि यह क्षेत्र अब राज्य का प्रमुख बर्ड-वॉक, इको-पर्यटन और प्रकृति अध्ययन केंद्र बनकर उभरा है।
प्रवासी पक्षियों और प्राकृतिक आवासों का प्रमुख केंद्र
गिधवा, गिधवा-2, परसदा, कूर्मू और एसएसएमटी जैसे जलाशयों से मिलकर बना यह विस्तृत परिसर पक्षियों के सुरक्षित प्रवास, भोजन और प्रजनन के लिए आदर्श माना जाता है। बेहतर जल प्रबंधन, प्राकृतिक वनस्पति और मानव हस्तक्षेप के नियंत्रित स्तर ने इसे संरक्षण के लिहाज़ से उत्कृष्ट क्षेत्र बना दिया है।
वन मंत्री की पहल से बढ़ा इको-पर्यटन और जागरूकता
वन मंत्री श्री केदार कश्यप के नेतृत्व में गिधवा-परसदा को न केवल जैव विविधता संरक्षण केंद्र बल्कि प्रकृति शिक्षा, जनजागरूकता और इको-पर्यटन गतिविधियों का मजबूत मंच बनाया गया है। यहाँ आयोजित राज्य स्तरीय बर्ड फेस्टिवल, बर्ड-वॉक, प्रशिक्षण कार्यक्रम और सामुदायिक गतिविधियों में बड़ी संख्या में विद्यार्थी, स्थानीय समुदाय, पर्यावरण प्रेमी व विशेषज्ञ भाग लेते हैं। इससे न सिर्फ जागरूकता बढ़ी है बल्कि स्थानीय रोजगार और आय के अवसर भी सृजित हुए हैं।
फॉरेस्ट ट्रेल्स और नेचर वॉक बना आकर्षण
गिधवा-परसदा की प्रमुख पहचान इसकी नियमित बर्ड-वॉक, फॉरेस्ट ट्रेल और नेचर ट्रेल गतिविधियाँ हैं। प्रशिक्षित वनकर्मियों द्वारा आगंतुकों तथा विद्यार्थियों को पक्षी पहचान, पौधों के महत्व, पारिस्थितिकी और संरक्षण के वैज्ञानिक पहलुओं की शिक्षा दी जाती है, जिससे यह क्षेत्र प्रकृति-आधारित सीखने का अनूठा केंद्र बन गया है।
एक सफल संरक्षण मॉडल
स्थानीय समुदाय की सक्रिय सहभागिता, वैज्ञानिक प्रबंधन और निरंतर संरक्षण-आधारित गतिविधियों ने गिधवा-परसदा को छत्तीसगढ़ में जैव विविधता संरक्षण और इको-पर्यटन का आदर्श मॉडल बना दिया है। यह परिसर न केवल राज्य का प्रमुख बर्ड वॉक स्थल है बल्कि प्रकृति, विज्ञान और समुदाय के सफल समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण भी बन चुका है।

