Raipur Navodaya School Violence: रायपुर नवोदय में मारपीट विवाद: स्टूडेंट्स बोले-टीचर ने प्राइवेट पार्ट पर किया हमला, प्रिंसिपल बोलीं-एडल्ट कंटेंट देख रहे थे
Kumud Mishra
Raipur Navodaya School Violence: राजधानी रायपुर के माना स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में एक बड़ा विवाद सामने आया है। आरोप है कि कक्षा 10वीं के चार छात्रों के साथ शिक्षक और हॉस्टल वार्डन ने मिलकर गंभीर मारपीट की। छात्रों का कहना है कि शिक्षक ने छाती पर लात मारी और प्राइवेट पार्ट पर भी हमला करने की कोशिश की। वहीं, प्रिंसिपल ने माना कि बच्चों के साथ मारपीट हुई है, लेकिन इसे “जितना बताया जा रहा है उतना गंभीर” नहीं बताया।
Raipur Navodaya School Violence: जानकारी के अनुसार, घटना देर रात करीब 1 बजे की है। हॉस्टल वार्डन राउंड पर निकले थे, तभी उन्होंने एक कमरे से हंसी और बातचीत की आवाज सुनी। अंदर जाकर देखा तो चारों छात्र एक ही मोबाइल पर वीडियो देख रहे थे। वार्डन ने तुरंत शिक्षक डीके सिंह को इसकी जानकारी दी।
छात्रों का आरोप है कि जैसे ही शिक्षक कमरे में आए, उन्होंने बिना पूछताछ किए डंडे और रॉड से पिटाई शुरू कर दी। एक छात्र ने दावा किया कि शिक्षक ने उसके प्राइवेट पार्ट पर भी चोट करने की कोशिश की। इस पिटाई में एक छात्र के हाथ-पांव में गंभीर चोटें आईं, यहां तक कि फ्रैक्चर भी हो गया। तीन अन्य छात्रों के शरीर पर भी चोट के निशान पाए गए।
Raipur Navodaya School Violence: पीड़ित छात्रों ने बताया कि शिक्षक डीके सिंह अक्सर बच्चों को पीटते रहते हैं। छोटे बच्चों तक को छड़ी से मारना आम बात है। एक छात्र ने कहा, “सर हमेशा हमें डराते-धमकाते हैं। इस बार हद से ज्यादा मारपीट की गई।”
पीड़ित छात्र के पिता एओ लारी ने कहा, “मेरे बेटे को इतनी बुरी तरह पीटा गया कि उसके हाथ-पांव टूट गए। अगर बच्चे गलती करते हैं तो अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है, लेकिन इतनी निर्ममता से मारना बिल्कुल गलत है। किसी शिक्षक को यह अधिकार नहीं है।”
Raipur Navodaya School Violence: स्कूल की प्रिंसिपल लक्ष्मी सिंह ने स्वीकार किया कि बच्चे मोबाइल पर एडल्ट कंटेंट देख रहे थे और हॉस्टल वार्डन से बहस भी की थी। उन्होंने कहा, “मैं मानती हूं कि किसी भी स्थिति में बच्चों को मारना गलत है, लेकिन इस घटना को उतना गंभीर नहीं माना जा सकता जितना बताया जा रहा है। बच्चों ने मोबाइल फेंक दिया और वार्डन को चुनौती दी थी, इसी कारण टीचर ने गुस्से में पिटाई कर दी।”
वहीं आरोपी शिक्षक डीके सिंह ने अपनी सफाई में कहा, “मुझे जानबूझकर अपराधी की तरह पेश किया जा रहा है। बच्चों ने मुझे देखते ही मोबाइल छिपा दिया और भागने की कोशिश की। मैंने सिर्फ अनुशासन बनाए रखने के लिए एक बच्चे को छड़ी से मारा। हां, गलती हुई है, इसके लिए मैं माफी मांगता हूं। लेकिन मैंने रॉड से पिटाई नहीं की और न ही किसी के हाथ-पैर तोड़े।”
प्रशासन की प्रतिक्रिया
Raipur Navodaya School Violence: रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) हिमांशु भारती ने बताया कि कलेक्टर गौरव सिंह ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा, “दोनों पक्षों को सुना जाएगा। अब तक की जानकारी में छात्रों से मारपीट की पुष्टि हुई है। पीड़ित छात्र का स्वास्थ्य लगातार मॉनिटर किया जा रहा है। जांच रिपोर्ट आने के बाद उचित कार्रवाई होगी।”
Raipur Navodaya School Violence: यह पूरा मामला कई सवाल खड़े करता है। क्या शिक्षक बच्चों पर इस तरह हिंसा कर सकते हैं? क्या छात्रों की गलती इतनी बड़ी थी कि उन्हें छड़ी और रॉड से पीटा जाए? शिक्षा का मकसद अनुशासन और संस्कार देना है, लेकिन अगर यह हिंसा में बदल जाए तो बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है।
बाल संरक्षण कानून भी कहता है कि किसी भी छात्र के साथ शारीरिक हिंसा अनुशासन का तरीका नहीं हो सकता। रायपुर नवोदय की घटना इस बात की याद दिलाती है कि आज भी कई संस्थानों में मारपीट को अनुशासन का पर्याय मान लिया जाता है।