Pet Animal Law
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर वन विभाग ने अधिनियम 1972 के तहत पक्षियों की बिक्री पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं। अब तोता और अन्य पक्षियों की अवैध रूप से बेचने और घर में पालने पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है। यह आदेश वन मुख्यालय, अरण्य भवन से जारी किया गया है। बिलासपुर DFO ने पक्षी पालने वालों को 7 दिन का अल्टीमेटम दिया है।
बता दें कि, वन विभाग ने सभी पक्षियों को कानन पेंडारी जू के प्रबंधन को सौंपने के लिए कहा है। इसके लिए उन्होंने एक टोल फ्री नबंर-18002337000 जारी किया हैं। अगर आदेश का पालन नही हुआ तो जेल की हवा भी खा सकते हैं।
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तोते को कैद में रखना कानूनी जुर्म
तोते या अन्य पक्षियों के पालन को लेकर वन्य जीव अधिनियम 1972 के तहत कार्रवाई करने का प्रावधान हैं। तोते की प्रजातियों को अनुसूचि-01 में शामिल किया गया हैं। इसके तहत प्रजातियों को संरक्षित करने की जिम्मेंदारी शासन की होती हैं। वहीं देशी पक्षियों को पालना या उन्हें कैद करने रखना कानूनी जुर्म हैं। इसके लिए जुर्माना या सजा भी हो सकती हैं।
वन अधिकारियों के अनुसार देशी हो या विदेशी किसी भी पक्षी को पालने के लिए वन विभाग से अनुमति लेना आवश्यक हैं। बगैर अनुमति के विदेशी पक्षी पालना भी कानूनी जुर्म हैं।
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टोल-फ्री नंबर जारी कर तुरंत कार्रवाई
पक्षियों की अवैध बिक्री या खरीदी देखने पर तुरंत सूचना देने के लिए वन मुख्यालय ने एक टोल-फ्री नंबर (18002337000) जारी किया है। इससे सूचना मिलने के बाद, विभागीय अमला तुरंत मौके पर पहुंचकर कार्रवाई करेगा। साथ ही वन विभाग के अधिकारियों के नाम, पदनाम और मोबाइल नंबर भी सार्वजनिक किए जाएंगे।
शिकार और तस्करी को रोकने का फैसला
इस मामले में बिलासपुर वन विभाग SDO अभिनव कुमार ने तुरंत एक्शन लेते हुए लोगों को 7 दिन का अल्टीमेट देते हुए पक्षियों को कानन पेंडारी में जमा कराने का निर्देश दिए। पालन नही होने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। तोते को पिंजरे में कैद करने से जैव विविधता पर बुरा असर पड़ रहा है। साथ ही शिकार और तस्करी रोकने फैसला लिया गया है।

